शनिवार, 7 अक्टूबर 2017

पदार्थ विज्ञान

पदार्थ विज्ञान – द्रव्य गुण वज्ञान के सात पदार्थ है।
   (1)    द्रव्य
  (2)    गुण
  (3)    रस
  (4)    विपाक
  (5)    विर्य
  (6)    प्रभाव
  (7)    कर्म
(1)    द्रव्य – रसादि गुणो तथा वमनादि कर्मो का आश्रय भुत जो पंच भौतिक विकार है वह द्रव्य पदार्थ कहलाता है।
(2)    गुण – द्रव्य मे रहने वाले शीत ऊष्ण स्निग्ध रूक्ष आदि धर्मो को गुण कहते है।
(3)    रस – द्रव्यो का जो स्वाद होता है उसे रस से सम्बोधित करते है ।
(4)    विपाक – जठराग्नि पाक के अन्तरगत रस का अन्तिम परिणाम तीन प्रकार का होता है।
मधुर अम्ल और कटु
(5)    वीर्य – कर्म को विर्य कहते है, अर्थात “वीर्य तु क्रियते येन या क्रिया।“ को विर्य कहते है। कुछ लोग शीत और उष्ण दो तथा कुछ लोग शीत, उष्ण, स्निग्ध, रूक्ष, गुरू, लघु, मन्द, तिक्ष्ण ये आठ विर्य मानते है।  वस्तुत: छ: वीर्य होते है इसे potencey भी कहते है।
(6)    प्रभाव – द्रव्यो कि जो सहज विशिष्ट शक्ति है वह प्रभाव कहलाति है। इसे specific potencey कहते है।
जैसे – अर्जुन का हृदय, शिरीस का विषघ्न, खादिर का कुषटह्न, विडंग का क्रिमिघ्न ।
(7)    कर्म – द्रव्य रसादि गुणो के द्वारा पुरुष शरीर मे जो संयोग विभाग ( परिवर्तन) उतपन्न करते है उन्हे कर्म कहते है। वमन विरेचन लंघन व्रहण आदि।


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