द्र्व्यो का नाम करण एवँ पर्याय
द्रव्यो का मौलिक
(वास्तविक) वर्गीकरण – द्रव्यो का वर्गी करण
आयुर्वेदाचार्यो ने अनेक कोणो मे किया है।
कार्य करण भेद से –- द्रव्य दो प्रकार के है कारण द्रव्य और कार्य द्रव्य सृस्टि
के मौलिक तत्व जिनसे सभी द्रव्य उत्पन्न होते है कारण द्रव्य कहलाते है। ये संथ्या
मे नौ होते है।
पंत महाभुत, आत्मा, मन,
दिशा, काल।
इनसे उत्तम होने वाले
सृस्टि के सभी द्रव्य कार्य कहलाते है।
घट, पट, गगोधुमि, गुडुचि
इत्यादि।
चेतना भेद से – चेतना कि स्थिति के अनुसार द्रव्य दो प्रकात के होते है,
चेतना और अचेतना।
चेतना – चेतना उसे कहते है, जिसमे चेतना धातु, आत्मा का निवास और
अभिव्यक्ति हो।
जैसे – जिव जन्तु इत्यादि।
अचेतन – अचेतन उसे कहते है जिसमे कि स्थिति और अभिव्यक्ति हो, जैसे सोना आदि धातु तथा पार्थिव द्रव्य।
चेतन द्रव्य दो भागो मे
विभक्त है।
(1)
अन्तस्तचेतन
(2)
वहिस्तचेतन
अन्तस्तचेतन – अन्तस्तचेतन वह है, जिसमे चेतना कि पुर्ण अभिव्यक्ति नही
होति है और जीवन कि संवेदनामे लगातार स्फुट रूप से चलति है।
इस वर्ग मे औभिद्द या
स्थावर एक हि स्थान का वरण स्थित द्रव्यो का समावेश होता है।
वहिरस्तचेतना – वहिरस्तचेतना वह है , जिसमे अन्तरस्तचेतना कि वाह्य
अभिव्यक्ति भी स्फुट व पुर्ण होती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें