विष का वर्गीकरण – आचार्य चरक के अनुसार विष दो प्रकार के होते है।
जांगम – जो जन्तुओ से प्राप्त हो।
स्थावर – वनस्पति खनिज विष
सुत्रुत संहिता के अनुसार –
सुत्रुत संहिता के अनुसार विष दो प्रकार के होते
है।
जांगम – 16 अधिस्ठान
स्थावर –- 10 अधिस्ठान
चरक व सुश्रुत
जांगम संयोजक
स्थावर
गर विष कृत्रिम
विष
( विष रहित द्रव्यो के संयोग से) ( विष द्रव्यो के
संयोग से)
विष के अधिष्ठान --- विष
के दो अधिष्ठान होते है।
(1) स्थावर विष अधिष्टान
(2) जांगम विष अधिष्ठान
(1)
स्थावर विष अधिष्ठान –
मूलं पत्रं फलं पुष्पं
त्वक् क्षीर सार एव च ।
निर्यासो धात व त्रैव
कन्दत्र दशम: स्मृत: ।।
स्थावर विष के दश अधिस्ठान है, मुल फल पत्र त्वक
क्षीर सार निर्यास धातु एवं कन्द।
इन प्रत्येक दस अधिस्ठानो मे आने वाले विषो का
वर्णन अस प्रकार है।
मुल विष – क्लीतक
करविर गुन्जा सुगन्ध, गर्गरक, करघाट लाइलि।
पत्र विष – विष
पत्रिका वरदारू लम्बा करम्भ महा करम्भ
फल विष – कुमुदवती
वेणुका करम्भ महा करम्भ कर्वे कर्कोटक रेणक खघातेक चर्मरि सर्पघाती नन्दन सारपाक
पुष्प विष --- वेल कादम्ब वल्लीज करम्भ महा करम्भ ।
त्वक विष, सार विष, विर्यास
विष – अन्नपाक कर्टरिय सौरीयक करघाट करम्भ नन्दन नराचक
क्षीर विष – कुमुघ्नी स्नुही जल छीरी ।
धातु विष – फेनास्म, हरताल।
कन्द विष – कालकुट वत्सनाभ सर्षप पालक कर्दभक वैराटक युस्तक प्रपुडरिक
मुलक हालाहल महाविष कर्कटक।